|| हरे श्रीनिवास । हरि सर्वोत्तम । वायु जीवोत्तम । श्री गुरुभ्यो नमः ||
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सिम्हरूपनाद श्री हरे
सिम्हरूपनाद श्री हरे हॆ नामगिरीशने । (प)
ऒम्मनदिन्द निम्मनु भजिपर
सम्मतदिन्द कायुव श्री हरि ॥ (अ.प)
तरळनु करॆयॆ स्थम्बवु बिरियॆ
तुम्बु उग्रव तोरिदनु ।
करुळनु बगॆदु [तन्]कॊरळॊळु इट्टु
तरळन सलहिद श्री नरसिम्हनॆ ॥ (च.१)
भक्तरॆल्ल कूडि बहु दूर ओडि
परम शान्तवनु बेडिदरु ।
करॆदु तन् सिरिय तॊडॆयॊळु कुळीसिद
परम हरुषव तॊरिद श्री हरि ॥ (च.२)
जय जय जय वॆन्दु हूवनु तन्दु
हरि हरि हरियॆन्दु सुररॆल्ल सुरिसॆ ।
भय निवारण भाग्य स्वरूपने
परम पुरुष श्री पुरन्दर विट्ठलने ॥ (च.३)